पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) जब एक महिला पहली बार मां बनती है तो उसके जीवन में कई तरह के बदलाव का आना स्वाभाविक होता है, ऐसे में एक महिला को मानसिक और शारीरिक तौर पर कई तरह के उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ता है। कई बार देखा जाता है की महिला शिशु को जन्म देने के बाद बहुत चिड़चिड़ी स्वभाव की हो जाती है या तो आप कहें कि वह हर बात में गुस्सा करने लगती है, अगर आप ऐसे में महिला को कुछ भी बोल दे तो वह तुरंत रोने लगेगी या चिल्लाने लगेगी ऐसे कई तरह के बदलाव आप उस महिला में देख सकते है।
अगर आप इस डिप्रेशन के बारे में किसी और से साझा करते हैं तो वह आपको बताएंगे कि ऐसा होता है कई बार कई तरह की जिम्मेदारियां आती है तो महिलाओं में यह परिवर्तन आना स्वभाविक है। पर अगर आप किसी डॉक्टर से इसके बारे में बात करते हैं तो वह आपको बताएंगे कि यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) होता है, अब यह पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या होता है? तो आइए जानते हैं पोस्टपार्टम डिप्रेशन क्या होता है?और क्यों होता है?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) क्या होता है?
भारत में आज भी आधे से ज्यादा महिलाओं को पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में किसी तरह की कोई भी जानकारी नहीं है, पर महिलाओं को इसके बारे में पता होना बहुत जरुरी है, इसलिए माँमबेबी कार्नर आप सभी महिलाओं की जानकारी के लिए इस आर्टिकल को लिख रहा है अगर आपको हमारा ये आर्टिकल अच्छा लगे तो कृपया कमेंट करके बता सकते है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद उनके अंदर होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से होता है, वह इसलिए होता है क्योंकि डिलीवरी होने के बाद एक महिला में हार्मोनल बदलाव होते है, जैसे एक महिला में पीरियड्स के समय में भी हार्मोनल बदलाव होते है वैसे ही जब एक महिला माँ बनती है तो उस समय भी हार्मोनल बदलाव होते है, इसी को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। इसके बारे में थोड़ा डिटेल में जानते हैं।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) क्यों होता है?
जब एक महिला गर्भावस्था में होती है तो उसके शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से महिलाओं के मूड स्विंग्स होते हैं। ऐसे ही जब एक गर्भवती महिला की डिलीवरी हो जाती है तो उस समय भी शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसकी वजह से महिला अपने आप को तनाव में या थकान में महसूस करती है, कई बार देखा जाता है की नयी माँ को बच्चे के लिए रात में बार -बार उठकर दूध पिलाना पढता है, जिसकी वजह से उसकी नींद भी पूरी नहीं हो पाती है तो महिला अपने आपको बहुत थका हुआ महसूस करती है और ऐसे ही वह एक डिप्रेशन में चली जाती है। ये डिप्रेशन अधिकतर महिलाओं में डिलीवरी के बाद देखने को मिलेंगे।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) कैसे होता है?
जब एक महिला किसी भी तरह का स्ट्रेस लेने लग जाती है यानी की चिंता करने लग जाती है तो एक डिप्रेशन में चली जाती है, यह चिंता एक नई मां को एक बच्चे के लिए होती है जैसे कि रात में उठकर उसको दूध पिलाना जिसकी वजह से उसकी नींद पूरी ना हो पाना और छोटे से बच्चे की केयर अकेले करना तो ऐसे में एक महिला अंदर से डर जाती है की, मै कैसे अकेले बच्चे को देख पाउगी, ऐसी ही कई तरह की बाते महिलाओं को अंदर से डराती है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) होने के कारण
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का ये मतलब नहीं है की महिला अपने बच्चे से प्यार नहीं करती है, बल्कि एक माँ से ज्यादा प्यार बच्चे को कोई नहीं कर सकता है। पर मेडिकल नाम की भी कोई चीज़ होती है, अगर आप साइंस के हिसाब से देखे तो ज्यादातर महिलाओं को डिलीवरी के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन होता है, हालांकि आज भी लोगो को इसकी जानकारी नहीं है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के चलते लोग महिलाओं को ही कोसते रहते है, बल्कि ऐसा नहीं करे सिचुएशन को समझे और डॉक्टर की सालह ले।
जब महिला डिलीवरी के बाद घर आती है तो सब कुछ बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि महिलाओं को मां बनने का सुख मिलता है जिसका 9 महीने से वह इंतजार कर रही है वह उसके पास होता है, ऐसे में घर वाले भी आपके साथ होते हैं सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा होता है।
जब महिला मां बन जाती है तो उसके कुछ हफ़्तों के बाद महिला में कुछ बदलाव दिखने लगता है। जब जीवन में थोड़ा सा बदलाव आता है तो हर इंसान में थोड़ा बदलाव आना स्वाभाविक होता है, क्योकि कुछ नयी जिम्मेदारियां आ जाती है, वैसे ही जब कोई पहली बार मां बनती है तो एक माँ होने के नाते एक जिम्मेदारी आ जाती है जिससे महिला के जीवन में कुछ बदलाव आने लगते है। उस महिला को अपने बच्चे का अकेले ही सब कुछ देखना पड़ता है, तो कहीं ना कहीं वह भी एक तनाव में आ जाती है, क्योंकि उससे पहले उसने कभी भी इस तरह का कोई भी जिम्मेदारी नहीं उठाई होती है तो वह कंफ्यूज हो आती है कि मैं एक नन्ही सी जान को कैसे संभाल पाऊंगी।
फिर एकदम से सब लोग अपने -अपने घर चले जाते हैं, फिर महिला बिल्कुल अकेली पड़ जाती है, उसको अकेले ही अपने बच्चे का पालन पोषण करना पड़ता है। अब महिलायें घबरा जाती है की मैं कैसे बच्चे को अकेले देख पाउगी? मैं कैसे बच्चे का डाइपर बदल पाउगी? ऐसे कई तरह की बाते महिला के मन में आने लगती है जिसकी वजह से वो तनाव में रहती है।
महिला की डिलीवरी के 4 हफ्तों के बाद कुछ महिलाओं के व्यवहार में बदलाव दिखने लगता है जिसे महिला नज़रअंदाज़ कर देती है, यूँ कहे की महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में जानकारी नहीं होती है, इसके अभाव के कारण वो अंदर ही अंदर घुटती रहती है।
अगर आपको भी डिलीवरी के बाद में नीचे दिए गए लक्षण अपने आप में दिख रहे हैं तो हो सकता है आप पोस्टपार्टम डिप्रेशन के शिकार हो इसे नज़रअंदाज़ ना करे बल्कि डॉक्टर की सलाह ले