माँमबेबी कार्नर में हम बतायेगे जो दम्पति माता पिता बनने का सुख नहीं ले पा रहे है उस कंडीशन में आप IVF Treatment प्रयोग में ला सकते है, ये वो ट्रीटमेंट है जिसकी सहायता से बहुत सी दम्पति माता पिता बनने का सुख पा सकते है।
माँ बनना हर एक औरत का सपना होता है, हर एक कपल शादी के बाद माता पिता बनने का सोचते है। माता पिता बनना हर एक लिए बहुत खास बात होती है, पर कुछ दम्पति किसी कारणवश माता पिता बनने का सुख नहीं ले पाते है। कई बार देखा गया है की महिलायें बहुत परेशान रहती है की वो माँ नहीं बन पा रही है।
आजकल लोगो का इतना व्यस्त जीवन और बदला हुआ लाइफ स्टाइल हो गया है की इन सब के कारण महिला और पुरुष इनफर्टिलिटी की समस्या का शिकार हो रहे है, इन सब के चलते उनको माँ बाप बनने का सुख नहीं मिल पाता है।
IVF Treatment क्या होता है?
IVF का फुल फॉर्म – इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In -Vitro -Fertilization) होता है। यह प्रक्रिया 1978 में पहली बार इंग्लैंड में प्रयोग की गयी थी। पहले लोग इसे test tube बेबी के नाम से जानते थे। IVF Treatment में महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को लैब में निषेचित किया जाता है, अंडे और शुक्राणु के संयोजन से भ्रूण बनता है फिर उस भ्रूण को वापस से महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है फिर वह भ्रूण महिला के गर्भाशय में पलता है।
आईवीएफप्रक्रिया थोड़ी महंगी और कॉम्प्लिकेटेड होती है, लेकिन जिन दम्पतियों को बच्चे का सुख नहीं मिल पाता है उनके लिए ये प्रक्रिया बहुत काम आ सकती है, क्योकि वो आईवीएफप्रक्रिया से माता पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते है।
IVF Treatment की आवश्यकता कब होती है?
ये तो सब जानते है की IVF की सहायता से बच्चे होते है पर क्या आपको ये पता है की IVF की प्रक्रिया आपको कब और किन परस्तिथियों में पड़ सकती है तो आइये इसके बारे में जानते है –
ओवुलेशन में समस्या
PCOD या PCOS के कारण कई महिलाओं में ओवुलेशन की समस्या आ जाती है जिसके चलते महिलाओं की ओवरी से अंडे निकलना कम हो जाते है या निकलते ही नहीं है जिसकी वजह से महिला को गर्भधारण में समस्या आती है। इसलिए जिन महिलाओं में ओवुलेशन में समस्या आती है उनको डॉक्टर IVF की सलाह दे सकते है।
महिला की फैलोपियन ट्यूबमें कोई दिक्कत है जैसे की फैलोपियन ट्यूब का ख़राब या ब्लॉक होना, इस स्थिति में महिला का अंडा पुरुष के शुक्राणु से मिल नहीं पाता और कभी कभी महिला की ओवरी से अंडे रिलीज़ नहीं होते है, इसलिए दोनों ही स्थिति में महिला माँ नहीं बन सकती है ऐसे में डॉक्टर आपको शायद IVF की सलाह दे सकते है।
पुरुष में स्पर्म की मात्रा कम है और क्वालिटी ख़राब है तो ये पुरुष बाँझपन की समस्या में आता है। अगर स्पर्म की मात्रा कम और क्वालिटी ख़राब होगी तो वो महिला के अंडे के साथ निषेचित नहीं हो पायेगा जिसके कारण भ्रूण नहीं बन पायेगा और इस परिस्थिति में दम्पति माता पिता नहीं बन पाएंगे। इस सिचुएशन में भी डॉक्टर आपको IVF की सलाह दे सकते है।
एंडोमेट्रियोसिस
यह एक तरह का विकार है जिसमे महिला के बच्चेदानी के बाहर असामन्य रूप से टिशू का विकास होने लगता है जिसके कारण फैलोपियन ट्यूब , अंडाशय और बच्चेदानी बुरी तरह से प्रभावित होते है। जो महिला एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होती है वो महिला IVF की मदद से आसानी से प्रेगनेंट हो सकती है।
IVF Treatment के द्वारा गर्भावस्था के शुरूआती लक्षण
महिला जब IVF Treatment की मदद से प्रेगनेंट होती है तो उसकी प्रेगनेंसी भी नार्मल प्रेगनेंसी की तरह ही होती है, IVF एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है, इसमें भ्रूण को बच्चेदानी में इम्प्लांट यानी प्रत्यारोपित किया जाता है फिर इसमें 14 दिन के बाद आपको प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण दिखते है।
माहवारी नहीं आना -
महिला जब प्रेगनेंट होती है तो उसको पीरियड्स यानी माहवारी नहीं आती है, ये प्रेगनेंसी का मुख्य लक्षण होता है। अगर आपको पीरियड्स मिस होने के साथ साथ नीचे दिए गए कुछ लक्षण भी दिख रहे है तो आप शायद माँ बनने वाली है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग
जब महिला IVF की मदद से गर्भधारण करती है तो इम्प्लांटेशन के 14 दिन के बाद हलकी सी ब्लीडिंग या स्पॉटिंग होती है, जिसका रंग गहरा भूरा या कभी कभी हल्का गुलाबी सा होता है। इस रक्तश्राव को देखकर आप डरिये नहीं ये भी प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण में आता है।
स्तन में भारीपन
महिला कंसीव कर लेती है तो उसके ब्रैस्ट यानी स्तन के साइज में थोड़ा बदलाव आ जाता है। अगर महिला अपने स्तन छुए तो काफी दर्द महसूस होगा और अगर निप्पल देखे तो एरोला का रंग गहरा भूरा हो जाता है ये भी प्रेगनेंसी के शुरूआती लक्षण में आता है।
थकान होना
महिला जब गर्भधारण कर लेती है तो उसको शुरूआती समय में बहुत जल्दी थकान महसूस होने लगती है। थोड़े थोड़े समय में महिला थक जाती है तो हो सकता है की वो प्रेग्ननेंट हो, क्योकि जब बच्चा पेट में आता है तो शरीर को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है इसलिए शरीर जल्दी थक जाता है।
प्यास ज्यादा लगना
गर्भधारण करने के बाद महिला का मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाता है, जिससे किडनी अधिक मात्रा में अपशिष्ट पदार्थ निकालती है, जिससे प्यास ज्यादा लगती है।
पेशाब आना
जैसा की ऊपर हमने बताया महिला को कंसीव करने के बाद प्यास बहुत लगती है जिसकी वजह से गर्भवती महिला को पेशाब बार बार जाना पड़ता है, क्योकि किडनी अधिक मात्रा में लिक्विड (liquid) निकालने लगती है।