जब महिला गर्भवती होती है तो महिला के मन में लेबर पेन को लेकर बहुत सारी बातें उठती है, और यह तब सबसे ज्यादा होता है जब महिला पहली बार मां बन रही होती है, क्योंकि उन्हें लेबर पेन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है कि लेबर पेन के क्या लक्षण होते है? और लेबर पेन में कितना दर्द होता है?
इसलिए माँमबेबी कार्नर इस आर्टिकल को लिख रहा है की उन गर्भवती महिलाओं को कुछ मदद मिल सके जो पहली बार माँ बन रही है। हम इस आर्टिकल में उनको लेबर पेन से संबंधित हर तरह की जानकारी देंगे तो आइये देखते है।
लेबर पेन क्या होता है?
जब एक गर्भवती महिला नॉर्मल डिलीवरी में योनि मार्ग से शिशु को जन्म देती है तो उसमें उठने वाले तेज पीड़ा यानी दर्द को लेबर पेन या प्रसव पीड़ा कहा जाता है।
अक्सर देखा जाता है कि लोग दो तरह के लेबर पेन कि बात करते हैं जैसा कि नीचे दिखाया गया है-
झूठा प्रसव पीड़ा – जिसे लोग आम तौर पर फॉल्स लेबर पेन (false labor pain)बोलते है।
वास्तविक प्रसव पीड़ा जिसे लोग ट्रू लेबर पेन (true labor pain)बोलते है।
झूठा प्रसव पीड़ा (false labor pain)
जब महिला अपने गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में होती है तो उसको गर्भाशय में कभी-कभी ऐठन सी होने लगती है या पेट टाइट होने लगता है और महिला को लगता है कि डिलीवरी होने वाली है, पर यह फॉल्स लेबर पेन होता है। कभी कभी गर्भावस्था के आखिरी सफ्ताह में फॉल्स लेबर पेन भो होता है। इसलिए महिला को लेबर पेन के बारे में पता होना बहुत जरूरी है।
अगर महिला को पेट में दर्द है और समय के साथ साथ ये दर्द कम होने लगता है तो आप समझ जाइए कि यह फॉल्स लेबर पेन (false labor pain) है।
महिला का वास्तविक लेबर पेन है तो पहले वह कमर से शुरू होगा फिर जांघों में होगा। गर्भवती महिला को कमर से ऐंठन होगी, ये ऐंठन कुछ सेकण्ड्स के लिए होगी और ये समय के चलते चलते बढ़ती जाएगी और फिर ये दर्द बढ़ेगा। क्रैंपिंग यानी की कमर में ऐंठन हर एक निश्चित समय अंतराल में होगी, और ये दर्द ऐसा होगा की महिला ने इससे पहले कभी भी ऐसे दर्द की अनुभूति नहीं की होगी, यही से आपको पता चल जायेगा की ये वास्तविक लेबर पेन है।
कई बार ऐसा देखा जाता है कि गर्भवती महिला के पेट में आखिरी सप्ताह में ऐठन और पेट में दर्द होने लगती है। महिला समझ नहीं पाती है की यह यह वास्तविक लेबर पेन है या फॉल्स लेबर पेन है। इसलिए मॉमबेबी कॉर्नर आपको कुछ लक्षणों के बारे में बता रहा है जिससे आपको लेबर पेन पहचानने में मदद मिल सकती है।
वास्तविक लेबर पेन के लक्षण
यहां पर हम आपको वास्तविक लेबर पेन के कुछ लक्षण बता रहे हैं। अगर किसी गर्भवती महिला को नीचे दिए गए यह लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो समझ लीजिए कि आपका डिलीवरी का समय बिल्कुल नजदीक आ चुका है। आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी होगी।
पानी की थैली फट जाना
गर्भवती महिला के गर्भाशय में एमनियोटिक द्रव से भरी थैली का फट जाना जिसे लोग आमतौर पर पानी की थैली बोलते हैं, जैसे ही वह पानी की थैली फटती है पानी नीचे आने लगता है, तब महिला को समझ जाना चाहिए कि शिशु के जन्म का समय आ चुका है तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
म्यूकस का खुलना
जब शिशु का जन्म होने वाला होता है उससे कुछ घंटे पहले गर्भवती महिला के म्यूकस खुल जाते हैं क्योकि गर्भाशय ग्रीवा शिशु को जन्म देने के लिए तैयार हो जाती है। म्यूकस खुलते ही महिला के योनि से सफेद गाढ़ा रंग का पदार्थ या हल्का खून जैसा योनि से निकलने लगता है, अगर आप टिश्यू पेपर से देखे तो ये चिकना और चिपचिपा कुछ आपको टिश्यू पेपर में दिखेगा। यह रंग में सफेद पारदर्शी हो सकता है जिसमें हल्का सा खून का थक्का भी लगा हो सकता है। ऐसे में आपको समझ जाना चाहिए कि शिशु के जन्म का समय आ चुका है यह वास्तविक प्रसव पीड़ाहै।
जब शिशु जन्म लेने वाला होता है तो गर्भवती महिला की ग्रीवा पतली होकर फैलने लगती है और पहले ये 2 सेंटीमीटर फिर 4 और फिर 10 सेंटीमीटर तक खुल जाती है तभी शिशु का जन्म होता है।
क्रम्पिंग यानि ऐंठन होना
जब शिशु का सिर नीचे की तरफ आने लगता है तो गर्भवती महिला के गर्भशय में संकुचन होने लगता है, और कमर में क्रम्पिंग यानी की ऐंठन शुरू होने लगती है और ये ऐंठन एक निश्चित समय अंतराल के लिए होगी यानी की हम कह सकते है की ये ऐंठन आपको कुछ सेकण्ड्स के लिए होगी फिर रुक जाएगी फिर कुछ मिनट्स के बाद होगी और फिर रुक जाएगी ऐसा बार बार होता रहेगा, फिर ये दर्द कमर से जांघो तक आ जायेगा। यह वास्तविक प्रसव पीड़ाहै।
पेट ख़राब होना
जब पेट में दर्द और टाइट होने के साथ साथ के साथ बार बार पॉटी की भी शिकायत हो तो आपको समझ जाना चाहिए की ये वास्तविक लेबर पेन है तुरंत डॉक्टर की सलह ले।
बार बार पेशाब आना
जब शिशु का सिर नीचे की तरफ आने लगता है तो मूत्राशय में अत्यधिक दबाव पड़ने के कारण बार-बार पेशाब करने की इच्छा होने लगती है।
अगर किसी गर्भवती महिला के पेट के निचले हिस्से में दर्द हो रहा है तो ये फाल्स लेबर पेन है। क्योकि वास्तविक लेबर पेनकमर से शुरू होता है।
अगर आपको पेट में दर्द होता है और रोजमर्रा के काम करने से यह दर्द समय के साथ -साथ कम होता जाता है तो ये फाल्स लेबर पैन है। क्योकि वास्तविक लेबर पेन का दर्द समय के साथ साथ बढ़ता है।
आजकल महिलाएं लेबर पेन को लेकर हर दूसरी महिला से बात करती है, क्योंकि महिलाओं के लिए ये यह एक नया अनुभव होता है जो गर्भवती महिला को अपनी डिलीवरी के समय ही पता चलता है की लेबर पेन में कैसा दर्द होता है। हर एक महिला का नार्मल डिलीवरी का दर्द अलग अलग होता है। किसी को यह दर्द 24 घंटे और किसी को 12 तो किसी को 9 घंटे भी हो सकता है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो जब एक महिला बच्चे को जन्म देती है तो वह 20 हड्डियों के टूटने के बराबर दर्द सहती है। आपको बता दें कि मानव में 45 डेल तक दर्द सहने की क्षमता होती है, जबकि महिला शिशु को जन्म देते समय 57 डेल (दर्द नापने की इकाई) यानी की 20 हड्डियों के टूटने के बराबर दर्द सहती है। इसलिए कहा जाता है की महिलाएं बहुत शक्तिशाली होती है।
पीरियड्स में जो दर्द महिलाओं को होता है उसका 4 गुना दर्द बच्चा पैदा करने के टाइम पर महिलाओं को होता है। हम आपको एक महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहेंगे कि महिलाओं का लेबर पेन को लेकर बहुत डर है, बल्कि आप लेबर पेन को लेकर डरिए नहीं अपने शिशु को देखने के लिए उत्सुक होइए। हर एक महिला का लेबर पैन(प्रसव पीड़ा) का दर्द अलग अलग होता है।
जब गर्भवती महिला अपने गर्भावस्था के 38वें या 40वे हफ्ते में होती है तो उसको डॉक्टर सलाह देते हैं कि अब डिलीवरी का समय आ चुका है कभी भी डिलीवरी हो सकती है अगर आपको जल्दी प्रसव पीड़ा लानी है तो आपको प्राकृतिक तरीके से कुछ पौष्टिकआहार, फल लेने होंगे जिससे आपकी प्रसव पीड़ा आ सके इसके लिए हम इस आर्टिकल में आपको कुछ आहार और उसके साथ साथ कुछ एक्सरसाइज यानी की व्यायाम के बारे में बतायेगे जिससे शायद आपका भी प्रसव पीड़ा लाने में मदद मिल सके।
प्रसव पीड़ा प्राकृतिक तरीके से लाने के लिए खजूर बहुत मददगार है। गर्भावस्था के आखिरी हफ्तों में खजूर खाने से गर्भाशय ग्रीवा पतली होकर फैलने लगती है और शिशु के जन्म के लिए तैयार हो जाती है। इसलिए आप गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में डॉक्टर की सलाह से खजूर ले सकते हैं।
अनानास
डॉक्टरों का कहना है कि अनानास में बहुत सारे विटामिन पाए जाते हैं और यह एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। अनानास में पाया जाने वाला ब्रोमलेन नामक एंजाइम गर्भाशय ग्रीवा को मुलायम करने में मददगार है, जिससे प्राकृतिक तरीके से शिशु का जन्म हो सकता है।
लहसुन
लहसुन की दो कलियां रोजाना सुबह खाएं इससे अपच नहीं होगी और यह प्रसव पीड़ा शुरू करने का काम अच्छे से करती है, क्योंकिइसके खाने से गर्भाशय में संकुचन पैदा होता है।
लाल रास्पबेरी की चाय
लाल रास्पबेरी की चाय पीने से गर्भाशय की दीवारों में संकुचन पैदा होता है जिससे शिशु का सिर गर्भाशय में नीचे की तरफ होने लगता है और प्रसव पीड़ा लाने में मदद मिल सकती है।
घी या अरंडी का तेल
घी या अरंडी का तेल आपकी आंत को उत्तेजित करता है जिससे गर्भाशय में संकुचन होता है और शिशु को नीचे आने में जगह मिलती है, प्रसव के लिए महिला का शरीर तैयार हो जाता है इसकी एक सीमित मात्रा ही लेनी चाहिए।
गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में टहलना बहुत जरूरी होता है इससे बच्चा अपनी पोजीशन यानी की नीचे आने के लिए जगह बना लेता है और इससे आपको प्रसव पीड़ा जल्दी आ सकती ।
सीढ़ियां चढ़े और उतरे
गर्भावस्था के 38वें या 40वें हफ्ते में आप डॉक्टर की सलाह से सीढ़ियां चढ़े और उतरे, ऐसा करने से बच्चे की पोजीशन सेट होने लगती है और बच्चे का सिर नीचे की तरफ आने लगता है जिससे प्रसव पीड़ा भी शुरू हो सकती है।
बटरफ्लाई एक्सरसाइज
बटरफ्लाई एक्सरसाइज करने से गर्भवती महिला के पेल्विक एरिया को खुलने में मदद मिलती है और मांसपेशियों में लचीलापन के साथ आपका शरीर प्रसव पीड़ा के लिए तैयार हो जाता है। यह एक्सरसाइज आप डॉक्टर की सलाह से 10 से 15 मिनट कर सकते हैं।
उकड़ूं बैठना
गर्भावस्था के आखिरी हफ़्तों में डॉक्टर की सलाह से आप उकड़ूं बैठने वाली एक्सरसाइज कर सकते हैं, इससे आपकी पेल्विक क्षेत्र की शक्ति बढ़ेगी और प्रसव पीड़ा में होने वाला दर्द भी कम होगा। यह एक्सरसाइज आप 10 से 15 मिनट करें।
डॉक्टरों का मानना है कि गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में महिला को घर का काम जैसे कि झाड़ू, पोछा इत्यादि करना चाहिए, जिससे महिला का पेल्विक एरिया खुलता है इससे प्रसव में होने वाले पीड़ा के लिए शरीर मजबूत होता है, और शिशु के जन्म का समय नजदीक आ जाता है।
नोट:-प्रेगनेंसी में कुछ भी करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें हम आपको इस लेख में सिर्फ एक जानकारी दे रहे हैं। सबकी गर्भावस्था अलग अलग होती है किसी की हाई रिस्क तो किसी के लौ रिस्क, इसलिए आपको डॉक्टर की सलाह टाइम टाइम पर लेते रहना चाहिए।
डिलीवरी के 24 घंटे पहले लेबर पेन शुरू होता है किसी को ये लेबर पेन 12 घंटे पहले भी शुरू हो सकते है।
लेबर पेन कहां से शुरू होता है?
लेबर पेन कमर से शुरू होता है फिर यह जांघो तक जाता है और यह कमर में हर थोड़ी थोड़ी देर में क्रम्पिंग यानी की ऐंठन होती है, और यह कुछ सेकण्ड्स के लिए ही होती है फिर रुक जाती है फिर होती ऐसा ही चलता रहता है जब तक शिशु का जन्म नहीं हो जाता है।
बच्चा होने वाला दर्द कैसे होता है?
बच्चा पैदा करते समय एक महिला को 20 हड्डियों के टूटने जितना दर्द होता है। कहते हैं कि पुरुष को 45 डेल तक दर्द सहने की क्षमता होती है जबकि महिला बच्चा पैदा करते समय 57 डेल का दर्द सहती है।
बेबी बॉय लेबर पेन लक्षण
पुराने ज़माने की माने तो बुजुर्गो का मानना है की, अगर डिलीवरी की जो तारीख मिली है उससे 1 महीने पहले अगर लेबर पेन हो तो ये बेबी बॉय होने का लक्षण होता है। आसान भाषा में कहे तो अगर बेबी बॉय है तो जल्दी जन्म लेता है और बेबी गर्ल है तो वो नवां महीना पूरा करके जन्म लेती है लेती है।