पहले के समय में महिला की नार्मल डिलीवरी होना एक आम बात होती थी लेकिन आजकल के समय में बहुत कम महिलाओं की नार्मल डिलीवरी होती है, वैसे तो कई महिलाये खुद से नॉर्मल डिलीवरी के लिए मना देती है क्योकि उन महिलाओं को कुछ लोग बोलते है की नार्मल डिलीवरी में बहुत दर्द होता है जिससे महिलाये डर जाती है और खुद से सिजेरियन के लिए तैयार हो जाती है पर ऐसा नहीं होता है नार्मल डिलीवरी में हर महिला को अलग तरीके का दर्द होता है, किसी को कम तो किसी को ज्यादा इसीलिए किसी की नहीं सुने बस अपने शरीर को नार्मल डिलीवरी का दर्द सहने के लिए तैयार करे। माँमबेबी कार्नर में हम आपको बतायेगे की एक गर्भवती महिला को नार्मल डिलीवरी के लिए अपने शरीर को कैसे तैयार करना चाहिए की उनकी नार्मल डिलीवरी हो सके।
नार्मल डिलीवरी क्या होती है?
जब एक बच्चा प्राक्रतिक तरीके से महिला के वजाइना यानी योनि मार्ग के द्वारा जन्म लेता है तो इसे नार्मल डिलीवरी बोली जाती है। नार्मल डिलीवरी में महिला को दर्द उठाना पढता है पर नार्मल डिलीवरी एक महिला के स्वस्थ्य के लिए भी सही होती है इस प्रक्रिया में महिला को 18 से 24 घंटे का दर्द झेलना पढ़ सकता है और किसी को तो 8 से 12 घंटे में ही बच्चा हो जाता है। सबका नार्मल डिलीवरी का दर्द अलग होता है इसलिए किसी के कहने में ना जाए नार्मल डिलीवरी के लिए अपना शरीर को तैयार करे क्योकि नार्मल डिलीवरी होते ही महिला का सारा दर्द ख़त्म हो जाता है और महिला पहले जैसे ही अच्छा महसूस करती है।
गर्भवती महिला की डिलीवरी नार्मल होगी या ऑपरेशन कैसे पता करे?
गर्भवती महिला में कुछ कारक को देखकर हम बता सकते है की महिला की नार्मल डिलीवरी हो सकती है जैसे की-
महिला की पहले नार्मल डिलीवरी हुई हो
महिला का और गर्भ में पल रहे शिशु का वजन सामान्य हो
गर्भवती महिला को कोई बीमारी न हो
अगर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेसर और ब्लड शुगर नार्मल हो
गर्भवती महिला के खून में होमोग्लोबिन सामान्य मात्रा में हो
गर्भवती महिला एक्टिव दिख रही हो
नार्मल डिलीवरी के लिए 10 टिप्स
माँमबेबी कार्नर में हम आपको नार्मल डिलीवरी के लिए 10 टिप्स बतायेगे जिससे आपका शरीर नार्मल डिलीवरी के लिए तैयार हो जायेगा।
तनाव से दूर रहे
जब महिला गर्भधारण कर ले तो उसको तनाव से दूर रहना चाहिए। अपने मन को खुश रखना चाहिए इसके लिए आप गर्भ संस्कार के गीत सुनिए या अच्छी किताबे पढ़िए जिससे आपका मन तनाव से दूर रहे।
ब्लड प्रेसर नार्मल रखे
गर्भवती महिला को किसी तरह का गुस्सा नहीं करना चाहिए न कोई चिंता करनी चाहिए क्योकि इन सब से ब्लड प्रेसर हाई या लौ होने की शिकायत हो सकती है इसलिए जितना हो सके खुश रहिये।
व्यायाम करे
गर्भवती महिला को रोज़ाना 10 से 15 मिनट व्यायाम करना चाहिए जिससे महिला की नार्मल डिलीवरी के चान्सेस बढ़ जायेगे और शरीर भी एक्टिव रहेगा इसलिए आप अपने डॉक्टर की सलाह से व्यायाम कर सकते है।
गर्भवती महिला को ये जरुरी है की वो अपने शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखें, इसके लिए आप बहुत पानी या जूस पीते रहिये, जिससे प्रसव पीड़ा में पानी की कमी ना हो और नार्मल डिलीवरी के चान्सेस बने।
नकारात्मक बातों से दूर रहे
गर्भवती महिला को नकारात्मक बातों से बिलकुल दूर रहना चाहिए, जैसे की कोई आपको बोलता है उनको प्रसव पीड़ा बहुत हुई थी जिससे आप डर सकते है, इसलिए किसी की बातों पर ध्यान ना दे और प्रसव के लिए अपना अनुभव ले क्योकि सब का अलग अलग अनुभव होता है इसलिए दूसरे के बुरे अनुभव से आप बिलकुल ना डरे।
मालिश करे
महिलाओं को अपने प्रेगनेंसी के सातवें महीने से अपने निचले हिस्से में थोड़ी थोड़ी मालिश करना चाहिए जिससे नार्मल डिलीवरी के चान्सेस बनेगे।
वजन को बढ़ने ना दे
गर्भवती महिला को अपना वजन थोड़ा नियंत्रित रखना चाहिए वैसे तो प्रेगनेंसी में वजन बढ़ना एक आम बात है, पर अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो महिला अपना वजन नियंत्रित कर सकती है, क्योकि ज्यादा वजन से नार्मल डिलीवरी में शिशु को योनि मार्ग से बाहर से निकलने में दिक्कत आती है।
घर वालो के साथ रहे
जब महिला गर्भ धारण कर लेती है तो वो हमेशा किसी घर वालो का साथ चाहती है क्योकि घर वालो का साथ महिला को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाता है और महिला खुश भी रहती है।
खान पान अच्छा रखे
गर्भवती महिला को ये जरुरी है की वो जितना हो सके हेअल्थी फ़ूड ही खाये जिससे वो और उसके गर्भ में पल रहे शिशु को अच्छा पोषण मिल सके और शरीर स्वास्थ्य रहे। जब कोई बीमारी नहीं होगी तो महिला की नार्मल डिलीवरी के चान्सेस बनेगे।
अच्छी डॉक्टर को चुने
आपको प्रेगनेंसी में जरुरी है की आप एक ऐसी डॉक्टर को चुने जो आपको नार्मल डिलीवरी के लिए मोटीवेट करे। नार्मल के लिए आपके शरीर को तैयार करने में मदद करे और सही जानकारी दे।
नार्मल डिलीवरी के लिए क्या खाना चाहिए?
अगर एक गर्भवती महिला अपने शुरूआती समय से अपना खानपान सही रखे और हेअल्थी फ़ूड ही खाये तो महिला की नार्मल डिलीवरी के चान्सेस होते है।
अगर गर्भवती महिला सुबह रोज़ाना नारियल का पानी पिए तो बच्चे में त्वचा से जुडी समस्या नहीं आएगी।
अपने खाने में हरी पत्तेदार सब्जी और तरह तरह के फल खाने चाहिए।
गर्भवती महिला खाने को कभी एक साथ ज्यादा ना खाये धीरे धीरे महिला को हर 2-2 घंटे में कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए।
सूखे मेवे रोज़ाना खाने चाहिए और गुनगुना दूध पीकर सोना चाहिए।
गर्भावस्था में महिला को चाय नहीं लेनी चाहिए अगर बहुत मन है तो दिन में सिर्फ एक कप चाय पिए ।
गर्भवती महिला को पानी खूब पीना चाहिए जिससे उसका शरीर हाइड्रेट रहे और प्रसव में दिक्कत ना आये।
नार्मल डिलीवरी होने के संकेत और लक्षण
अगर किसी महिला को नार्मल डिलीवरी होनी है तो महिला को कुछ संकेत मिलने लगते है जिसे कोई भी देख कर बता सकता है की महिला की नार्मल डिलीवरी के चान्सेस ज्यादा है। तो आइये देखते है वो कौन से संकेत और लक्षण है –
ब्लड प्रेशर नार्मल होना
अगर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर 9वें महीने तक नार्मल रहता है तो आपको ये संकेत मिल रहा है की आपकी नार्मल डिलीवरी हो सकती है।
भ्रूण का सिर नीचे आना
अगर 34वें सफ्ताह से 36वें सफ्ताह में भ्रूण का सिर नीचे की तरफ आ जाये तो ये संकेत नार्मल डिलीवरी को दर्शाता है।
बार बार पेशाब आना
जब भ्रूण नीचे आने लगता है और महिला के योनि में थोड़ा थोड़ा दबाव डालने लगता है इसी दबाव के कारण से गर्भवती महिला को बार बार पेशाब आने लगता है। ये भी संकेत महिला की नार्मल डिलीवरी की तरफ इशारा करता है।
पतला मल आना
अगर महिला की डिलीवरी का समय नजदीक आ गया है और महिला के गुदाद्वार की मांशपेशियां ढीली पढ़ने लगती है तो महिला को पतला मल आने की शिकायत हो जाती है ये संकेत नार्मल डिलीवरी का हो सकता है।
एक्टिव दिखना
अगर गर्भवती महिला 9वें माह में भी बहुत एक्टिव दिख रही है और घर का सारा काम भी कर रही है तो आप समझ लीजिये ये संकेत आपको नार्मल डिलीवरी की तरफ इशारा कर रहा है।
भूख ज्यादा लगना
अगर गर्भवती महिला को 9वें माह में बहुत खाने का मन करता है और बहुत भूख लगती है तो ये भी संकेत आपको बताता है की महिला के शरीर में सब कुछ ठीक है और नार्मल डिलीवरी हो सकती है।
नॉर्मल डिलीवरी के क्या फायदे होते है ?
ये तो हम सब जानते है की नार्मल डिलीवरी के बहुत फायदे होते है क्योकि इस प्रक्रिया में नेचुरल तरीके से बच्चे का जन्म महिला के योनि मार्ग से होता है और महिला का शरीर नार्मल डिलीवरी के बाद तुरंत रिकवर हो जाता है और जच्चा और बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य रहते है।
नार्मल डिलीवरी के तुरंत बाद माँ अपना दूध बच्चे को पिला सकती है जिससे बच्चा स्वस्थ्य रहेगा और जल्दी बीमार नहीं होगा। ये भी पढ़े ब्रैस्ट फीड कैसे बढ़ाये?
अगर आपकी पहली डिलीवरी नार्मल हुई है तो दूसरी डिलीवरी भी नॉर्मल होने के चान्सेस होते है।
जब शिशु योनि मार्ग से जन्म लेता है तो इस दौरान नवजात शिशु की छाती पर थोड़ा थोड़ा दबाव पड़ता है जिससे फेफड़ो से एमनीओटिक फ्लूड बाहर निकालता है जिससे नवजात शिशु को सांस लेने से जुडी समस्या नहीं आएगी।
जब एक महिला नार्मल डिलीवरी से शिशु को जन्म देती है तो महिला को एक अलग तरीके का गर्व महसूस होता है जो महिला के आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है ये पल महिला को बहुत खुशनसीब बनाता है क्योकि एक नई जिंदगी को सिर्फ एक महिला ही जन्म दे सकती है इसलिए महिलायों को इज्जत देना हम सबका फ़र्ज़ है।