Table of Contents
अक्सर हमने देखा है की बच्चे रात में सोते समय कुछ लोरी या कहानियां सुनने की इच्छा रखते है, तो हे मम्मीज़ आप परेशान बिलकुल भी न हो क्योकि अब माँमबेबी कार्नर आपके बच्चो के लिए कुछ छोटी प्रेरणादायक कहानियां लेकर आया है।
जी हाँ, हम इस आर्टिकल में आपको 5 छोटी कहानियां सुनाएंगे जो आपके बच्चे को मानसिक और शारीरिक तौर से विकास में मदद करेगा।
जब बच्चा रोये तो सुनाये ये 5 प्रेणादायक कहानियां
जब हम अपने बच्चो को कहानियां सुनाते है तो बच्चा अपने दिमाग में एक काल्पनिक दुनिया बना लेता है और जो आप कहानियो में बता रहे है वो वही अपने दिमाग में सोचता है की वो ऐसा दिख रहा होगा और वो कहानियों के जरिये उस दुनिया को देखता है। इससे आपके बच्चे की दिमागी विकास अच्छा होता है और सोचने समझने की छमता को भी बढाता है, इसलिए आपको जरुरी है की बच्चो को रोज नई- नई कहानियां सुनाये और उनको बताये की उनको इस कहानी से क्या सिखने को मिला है। तो आइये देखते है कहानियां-
ये भी पढ़े – बच्चे का वजन कैसे बढ़ाये?
मेहनत का फल मीठा होता है
एक जंगल में एक पीली मुर्गी रहती थी, पीली मुर्गी के घर के बराबर में एक कुत्ता और एक बिल्ली रहते थे। कुत्ता और बिल्ली बहुत आलसी थे पर तीनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी, जब पीली मुर्गी मेहनत करके खाना बनाती थी तो उसके दोस्त कुत्ता और बिल्ली उसका खाना खाने पहुंच जाते थे, पर मुर्गी कभी कुछ नहीं बोलती थी और उनको खाना खिला देती थी, क्योंकि उनको वह अपना अच्छा दोस्त समझती थी। कुत्ता और बिल्ली पीली मुर्गी का बहुत फायदा उठाते थे और उसका बना खाना भी खा जाते थे।
एक दिन पीली मुर्गी जंगल में घूम रही थी तभी उसे कुछ गेहूं के बीज पड़े मिले उसने सोचा क्यों ना इस गेहूं के बीज को खेत में बो दू, जिससे गेहूं की अच्छी फसल होगी और गेहूं को पिसवाकर उसकी रोटी बनाकर खाऊंगी।
मुर्गी गेहूं के बीज को मुंह में दबाकर अपने दोस्त कुत्ते के पास पहुंची और उससे बोली कि दोस्त क्या तुम मेरे साथ गेहूं के दाने बोने में मेरी सहायता कर सकते हो, तो कुत्ता बोला नहीं मैं अभी आराम कर रहा हूं मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर पाऊंगा। फिर वह निराश होकर अपनी दूसरी दोस्त बिल्ली के पास पहुंची और उससे बोली दोस्त क्या तुम गेहूं बोने में मेरी मदद करोगी। बिल्ली ने बोला मैं अभी तुम्हारी मदद नहीं कर सकती हूं क्योंकि मैं दूध पीने जा रही हूं, अगर मैं दूध नहीं पियूंगी तो मैं भूखी रह जाऊंगी इसलिए बिल्ली ने भी उसकी सहायता करने से मना कर दिया। अब पीली मुर्गी उदास होकर चली गयी और खुद से ही उसने पूरा दिन लग कर गेहूं के दाने बोये, फिर कुछ दिन के बाद उसने देखा कि गेहूं की फसल आ गई है। पीली मुर्गी फसल देखकर बहुत खुश हुई
फिर मुर्गी अपने दोस्त कुत्ते के पास गयी और बोली दोस्त देखो गेहूँ की फसल आ गयी क्या तुम मेरी फसल काटने में सहायता करोगे। कुत्ते ने बोला नहीं मै तुम्हारी मदद नहीं कर पाउगा, क्योकि मैं अभी आराम कर रहा हूँ फिर मुर्गी उदास होकर बिल्ली के पास पहुंची, बिल्ली से बोली दोस्त क्या तुम फसल काटने में मेरी मदद करोगी पर बिल्ली ने बोला मैं तो अभी नहा कर आयी हूँ, अगर मैं फसल काटूगी तो मैं गन्दी हो जाऊगी इसलिए मैं तुम्हारी सहायता नहीं कर पाउगी। पीली मुर्गी निराश होकर वहां से चली गयी और फिर मुर्गी ने अकेले ही मेहनत करके पूरी फसल काटी।
मुर्गी ने गेहूँ को पिसवा करके उसकी रोटी बनायीं, रोटी बहुत ज्यादा स्वादिष्ट बनी वो रोटी लेकर अपने दोस्त कुत्ता और बिल्ली के पास गयी और बोली रोटी कौन कौन खायेगा, तब कुत्ता और बिल्ली बोले मै खाऊंगा, तब पीली मुर्गी ने बोला तुम लोगों ने मेरी किसी तरह से कोई सहायता नहीं करी है, मैंने सारा काम अकेले ही किया है। गेहूं के बीज मैंने खुद बोये फसल मैंने खुद काटी तो रोटी तो मुझे ही खानी चाहिए मैं तुम लोगों को रोटी क्यों दूं। और पीली मुर्गी ने रोटी खुद अकेले खाई तब कुत्ता और बिल्ली बेचारे निराश होकर सोचने लगे हमने भी अगर मुर्गी की सहायता की होती तो ये रोटी आज हम भी खा रहे होते।
कहानी से सीख
इस कहानी से आपको ये सिखने को मिलता है की हमेशा मेहनत करिये और दुसरो की मदद क्योकि मेहनत का फल सदैव मीठा होता है जो व्यक्ति मेहनत करता है उसको सफलता जरूर हासिल होती है।
अच्छे दोस्त बनाओ
एक जंगल था, उसमें एक प्यारा गुलाबी खरगोश रहता था, और एक प्यारा तोता रहता था, दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती थी, दोनों एक दूसरे की मुसीबत के समय सहायता करते थे। खरगोश बहुत गोलू मोलू सा था तो जंगल के सारे जानवर उसका मांस रखना चाहते थे, क्योंकि वह काफी मांसल था। किन्तु जब कोई जानवर खरगोश के पास उसे खाने आना चाहते थे, उसका दोस्त तोता अपनी आवाज से खरगोश को चौकन्ना कर देता था, और खरगोश वहां से भाग जाता था ऐसे ही समय आगे चलता गया।
एक दिन उसी घने जंगल में एक लोमड़ी आई उसकी नजर प्यारे खरगोश पर पड़ी और उसके मुंह में पानी आ गया और सोचने लगी की खरगोश का मांस कितना अच्छा होगा पर खाऊ कैसे? तोते के रहते तो यह संभव नहीं था। लोमड़ी के मन में एक बात आई क्यों ना खरगोश से पहले दोस्ती की जाए और खरगोश का भरोसा जीता जाए फिर एक दिन उसको कहीं दूर ले जाकर मारकर खा जाऊंगी।
लोमड़ी एक दिन मौका पाकर खरगोश के पास पहुंच गई और लोमड़ी को देखकर खरगोश बहुत सहम गया, उसको लगा लोमड़ी उसे खा लेगी पर लोमड़ी ने खरगोश से प्यार से बोला घबराओ नहीं मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगी, मैं दूसरे जंगल से आई हूं मेरा इस जंगल में कोई दोस्त नहीं है क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे मैं तुम्हें जंगल के उस पार ले चलूँगी जहां बहुत सारी लाल लाल गाजर है, तुम पेट भर कर गाजर खाना। खरगोश लोमड़ी की मीठी मीठी बातें सुनकर खुश हो गया और उसने लोमड़ी की दोस्ती को स्वीकार कर ली।
लोमड़ी अब रोज खरगोश के पास आती और उससे ढेर सारी बातें करती एक दिन तोते ने खरगोश को लोमड़ी से बात करते हुए देख लिया उसको लोमड़ी की सारी चालाकी समझ में आ गई। लोमड़ी के जाते ही तोता खरगोश के पास गया और बोला खरगोश भाई यह लोमड़ी की दोस्ती सही नहीं है वह तुम्हें खा जाएगी। तुम अभी भी संभल सकते हो संभल जाओ पर खरगोश ने कहा, तोता भाई सब को संदेह की नजर से मत देखो वह अच्छी है खरगोश की बात सुनकर तोता वहां से चला गया, पर दोस्त होने के नाते वह दूर से खरगोश पर नजर रखता था। एक दिन लोमड़ी खरगोश के पास गई और बोली दोस्त चलो आज मैं तुम्हें गाजर के खेत में लेकर चलती हूं, जहाँ बहुत सारी लाल- लाल गाजर है वहां तुम पेट भर कर गाजर खा सकते हो।
फिर क्या था खरगोश खुश होकर लोमड़ी के साथ चल पड़ा दोनों जंगल के पास गाजर के खेत में पहुंच गए और खरगोश बहुत सारी गाजर देखकर खुश हो गया और वह गाजर खाने लगा इतने में खेत का मालिक आ गया और मालिक को देख लोमड़ी एक पेड़ के पीछे छुप गई और खरगोश गाजर खाने में व्यस्त होने के कारण वहां से भाग नहीं पाया और किसान ने खरगोश को जाल में फंसा दिया। खरगोश डरकर लोमड़ी से मदद की गुहार लगायी पर लोमड़ी पेड़ के पीछे से न
खरगोश ने बहुत कोशिश करी पर वह जाल से निकलने में सफल नहीं रहा। उसने लोमड़ी से बोला दोस्त कृपया करके यह जाल तुम काट दो पर लोमड़ी तो इसी अवसर की तलाश में थी कि कब किसान आए और खरगोश को मारे और वह उसका मांस चख सके इसीलिए लोमड़ी ने खरगोश से कहा, दोस्त ये जाल बहुत मजबूत है मैं इसे नहीं कट पाऊँगी। लोमड़ी खरगोश से कहती है कि दोस्त तुम चिंता ना करो मैं कुछ बंदोबस्त कर रही हूं कि तुम्हे इस जाल से निकाल सकूं, और यह बोलकर वह चुपचाप पेड़ के पीछे छुप गई और देखने लगी कि किसान कब आएगा और खरगोश को मरेगा वह सिर्फ खरगोश के मरने का इन्तजार कर रही थी।
इधर दूसरी तरफ तोता अपने दोस्त खरगोश को जंगल में ना पाकर वह परेशान हो गया और वह उड़ते उड़ते उसी गाजर के खेत में जाकर पहुंच गया जहां पर खरगोश जाल में बंद था उसने अपने दोस्त को ऐसी हालत में देखा तो उसने बोला दोस्त तुम परेशान मत हो अब मैं आ गया हूँ मैं तुम्हारी मदद करूंगा और तोता अपनी सोच से उस जाल को काटने लगता है।
इधर जैसे ही किसान तोते को जाल काटते हुए देखता है तो वह गुस्से में आकर अपनी कुल्हाड़ी तोते की तरफ फेकता है इतने में तोते ने जाल काट दिया होता है और खरगोश को आजाद कर देता है जैसे ही खरगोश और तोता देखते हैं कि कुल्हाड़ी उनकी तरफ आ रही है वह भागने लगते हैं इतने में वह कुल्हाड़ी जाकर पेड़ के पीछे छुपी लोमड़ी को लग जाती है और वो वहीं मर जाती है ऐसे लोमड़ी को उसके कुकर्म की सजा मिल जाती है।
कहानी से सीख
हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमेशा अच्छे और भरोसे मंद दोस्त बनाओ जो आपके संकट के समय में आपकी मदद कर सके छल करने वाले दोस्त कभी भी ना बनाओ वह हमेशा आपको मुसीबत में ही डालेंगे।
मुसीबत के समय घबराइए मत धैर्य से काम ले
एक गांव में एक किसान के घर में एक बकरी रहती थी उसके तीन बच्चे थे। वह बकरी अपने बच्चों को लेकर बहुत चिंतित रहती थी क्योंकि गांव के किनारे एक घना जंगल था उसको लगता था कि उसके बच्चे खेलते खेलते कहीं उस जंगल में ना चले जाएं और जानवरों का शिकार बन जाए, इसलिए बकरी अपने बच्चों को हमेशा समझाती रहती थी कि वह कभी भी उस जंगल की तरफ भूल से भी ना जाए।
एक दिन की बात है किसान किसी से चारा लाने की बात कर रहा था कि पास के जंगल में बहुत हरा भरा चारा है क्यों ना वहां से चारा लाया जाए। बकरी का बच्चा यह सब बातें सुनकर अपने मन में हरा भरा चारे के बारे में सोचने लगा और वह उसी चक्कर में जंगल की तरफ जाने लगा जैसे ही वह जंगल के रास्ते में घुसा उसको चार लकड़बग्घा ने घेर लिया बकरी का बच्चा उन्हें देख कर डर जाता है और अपनी मां को बुलाता है। इधर दूसरी तरफ जैसे ही बकरी पता चलता है कि उसका बच्चा जंगल में चला गया है वह बहुत जल्दी जल्दी जाती है, और वह अपने बच्चे को लकड़बग्घा से गिरा हुआ देखती है।
जैसे ही बकरी का बच्चा अपनी मां को देखता है वह अपनी माँ से चिपकने लगता है फिर बकरी उन लकड़बग्घा से कहती हैं कि शेर राजा तुम चारों को नहीं छोड़ेंगे क्योंकि हम दोनों शेर राजा का शिकार है, उन्होंने आदेश दिया है कि जब तक मैं वापस ना आऊं, हम दोनों कहीं ना जाए। लकड़बग्घा कहते हैं कि हम तुम्हारी बात कैसे मान लें। बकरी कहती है ना मानो मुझे क्या तुम लोग चाहो तो हमें खा सकते हो फिर तुम चारों को शेर राजा खा लेंगे, अगर यकीन नहीं आता तो यह पास में खड़े हाथी से पूछो शेर राजा इसे हमारी निगरानी के लिए छोड़ कर गए हैं, तो लकड़बग्घा हाथी की तरफ देखता है तो हाथी चिघारने लगता है। लकड़बग्घा सोचते हैं कि बकरी शायद ठीक बोल रही है कौन शेर राजा से पंगा ले और वह बकरी और उसके बच्चे को छोड़ देते हैं।
फिर बकरी और उसका बच्चा तेजी से घर की तरफ भागते हैं इतने में उनको रास्ते में दहाड़ने की आवाज आती है तो वह दोनों डर जाते हैं और देखते हैं कि सामने से शेर आ रहा है और दोनों को मारने की कोशिश करता है इतने में बकरी कहती है कि शेर राजा अगर आप हमें खा लोगे तो शेरनी आपसे गुस्सा हो जाएगी। इतने में शेर पूछता है क्यों शेरनी गुस्सा क्यों होगी, बकरी कहती है राजा शेरनी ने आज हमारा शिकार किया है और कह रही थी कि आज रात में अपने शेर राजा को फ्रेश मीठ बनाकर खिलाऊंगी जिससे आप खुश हो जाओगे।
अगर आप शेरनी से पंगा नहीं लेना चाहते तो आप हमें खा सकते हो अगर यकीन ना आए तो आप उस कौवें से पूछ लो शेरनी ने इस कौवें को हमारी निगरानी के लिए रखा हुआ है। शेर उस कौवें की तरफ देखता है तो वह कौवाँ काव काव करने लगता है, शेर सोचता है कि शायद बकरी ठीक कह रही है, मैं क्यों शेरनी से पन्गा लू वैसे भी रात में तो यह दोनों मुझे ही खाने को मिलेंगे। शेर बकरी से कहता है कि जाओ तुम दोनों और वह गुफा में घुस जाता है।
इतने में बकरी और उसका बच्चा तेजी से घर की तरफ भागते हैं, अभी आधा जंगल ही पार किया था, रास्ते में उनको शेरनी मिल जाती है। शेरनी सोचती है की, आज क्या मांस मिला है खाने को और शेरनी उन दोनों को खाने के लिए आगे बढ़ती है तभी बकरी कहती है शेरनी जी हम दोनों शेर राजा का शिकार है शेर राजा कह रहे थे कि रोज शेरनी शिकार करके मेरे लिए खाना लाती है क्यू ना आज मै अपनी शेरनी के लिए मांस लेकर जाऊं, जिससे शेरनी खुश हो जाएगी। अगर आपको यकीन ना हो तो पास में बैठे खरगोश से पूछ लो शेरनी कहती है क्या शेर राजा मेरे लिए ऐसा सोचते है और वो ख़ुशी के मारे उस बकरी और बच्चे को छोड़ देती है और कहती है जाओ तुम दोनों वैसे में शाम में तो शेर राजा मेरे लिए तुम दोनों को लाएंगे तब खा लूगी। ऐसा कहकर शेरनी अपनी गुफा में चली जाती है। फिर क्या था बकरी और उसका बच्चा तेजी से भागते है और अपने घर पहुंच जाते है और बहुत खुश होते है।
बाकी बच्चे अपनी माँ और भाई को देख कर खुश जाते है और पूछते है की माँ आप तो जंगल की तरफ गयी थी हम तो डर गए थे की कोई जानवर न मिल गया हो, इतने में छोटा बकरी का बच्चा बोलता है मिले थे लकड़बग्घा, शेर और शेरनी. ये सुनकर बाकी दो बच्चे डर जाते है और कहते माँ उन लोगो से आप कैसे बचे। तब बकरी अपने बच्चो से बोलती है बच्चो लड़ने के लिए ताकत ही नहीं दिमाग और धैर्य की आवश्यकता भी होती है। इसलिए कभी भी कोई मुसीबत आ जाए तो बच्चो आप लोग घबराना नहीं हमेशा दिमाग धैर्य और चालाकी से काम लेना तो तुम ख़राब से ख़राब परिस्तिथियों से बच सकते हो।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की कभी मुसीबत को देखकर घबराना नहीं चाहिए बल्कि दिमाग लगाइये और धैर्य से उसका हल निकालिये सब ठीक हो जाता है।
छल करने वाला कभी नहीं जीत सकता
एक जंगल में एक पेड़ था उस पेड़ में एक चिड़िया अपना घोसला बना कर रहती थी एक दिन एक कौवा चिड़िया के पास आया और उससे कहता है क्या मैं इस पेड़ पर बैठ सकता हूं चिड़िया कहती है क्यों नहीं तुम बैठ सकते हो तो कौवाँ उसके पास बैठ जाता है और उससे बात करता है और फिर दोनों में अच्छी दोस्ती हो जाती है। अब कौवाँ चिड़िया के पास रोज आने लगता है और वह दोनों खूब ढेर सारी बातें करते थे।
एक दिन कौवा और चिड़िया खाने की तलाश में उड़ते हुए जा रहे थे और उड़ते उड़ते वह दोनों एक गांव में पहुंच गए, वहां एक किसान के घर में लाल मिर्च सूखने को पड़ी थी। कौवा बोला क्यों ना लाल मिर्च खाते हैं चिड़िया बोली हां चलो तभी वह दोनों मिर्ची के पास बैठ जाते हैं। कौवा चिड़िया से कहता है कि क्यों ना एक कंपटीशन किया जाए की लाल मिर्च कौन ज्यादा खाता है जो जीतेगा वह दूसरे को खा लेगा। चिड़िया को लगा कौवा मजाक कर रहा है और वह शर्त मान गई, दोनों ने मिर्ची खानी शुरू की चिड़िया ईमानदारी से मिर्च खा रही थी कि वही कौवा बेइमानी करने लगा, वो एक मिर्ची तो खाता और एक मिर्ची चटाई के नीचे डाल देता ऐसे ही बेईमानी करके वह जीत गया। फिर कौवा चिड़िया से कहता है अब मैं तुम्हें खा जाऊंगा चिड़िया बेचारी सीधी थी वो कहती है ठीक है खा लो पर मुझे खाने से पहले अपनी चोंच पानी से धो कर आओ पता नहीं तुम क्या-क्या खाते हो तुम्हारी चोंच बहुत गंदी रहती है। कौवा कहता है ठीक है मैं अपनी चोंच धोकर आता हूं, वह चिड़िया की बात मानकर पास में ही एक नदी थी उसमें अपनी चोट धोने चला जाता है।
जैसे ही कौवा नदी के पास पंहुचा और अपनी चोंच धोने लगा वैसे ही नदी ने कौवे से कहा मैं तुम्हें पानी देने को तैयार हूं पर तुम पानी के लिए एक मटका लाओ उसमें जितना चाहे पानी ले लो। कौवा नदी की बात मानकर कुम्हार के पास गया और बोला भाई मेरे लिए एक मटका बना दो तब कुम्हार बोला मैं तुम्हारे लिए मटका बना दूंगा पर मेरे पास अभी मिट्टी नहीं है। तुम मुझे मिट्टी लाकर तो मैं तुम्हारे लिए मटका बना दूंगा।
कौवा उड़ कर एक खेत में जाता है जहाँ बहुत मिटटी होती है, जैसे ही वो अपनी चोंच मिटटी में मारता है तभी धरती मां कौवे से कहती है, भाई मैं तुम्हें मिट्टी लेने की अनुमति नहीं दूंगी, यह तो सब जानते हैं कि तुम क्या क्या कूड़ा खाते हो अगर तुम्हें मिट्टी चाहिए तो तुम कुदाल लेकर आओ और जितनी चाहे मिट्टी ले लो।
धरती मां की बात मान कर कौवा एक लोहार के पास पहुंचता है और लुहार से बोलता है भाई मुझे एक कुदाल दे दो। लोहार बोला कुदाल चाहिए तो कहीं से आग लाओ तभी कुदाल बनेगी फिर कौवा उड़ते हुए एक किसान के घर पहुँचता है, जहां किसान की पत्नी चूल्हे में खाना बना रही होती है। कौवा उसकी पत्नी से बोला बहन मुझे थोड़ी आग चाहिए तब किसान की पत्नी ने उसे चूल्हे से एक जलती हुई लकड़ी निकालकर कौवे की चोंच में रख दी। आग की लपट कौवे के पंख तक पहुंच गई और धीरे-धीरे कौवा पूरा जलकर राख हो गया, कौवे को उसको छल की सजा मिल गई थी।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की कभी किसी के साथ छल नहीं करे छल करने वालो की कभी जीत नहीं होती।
कर भला तो हो भला
एक समय की बात है एक जंगल में एक चींटी पेड़ से गिरकर तालाब में डूबने लगती है। वह पूरी कोशिश करती है कि वह बच जाए इतने में एक कबूतर उसको देखता है तो सोचता क्यों ना चींटी की जान बचाई जाए तो वह पेड़ से एक पत्ता तोड़कर चींटी की तरफ तालाब में फेंक देता है और वो चींटी तुरंत उस पत्ते के ऊपर चढ़ जाती है जिससे चींटी की जान बच जाती है। वह कबूतर को बहुत-बहुत धन्यवाद देती है कि तुमने मेरी जान बचाई और वह जैसे ही तालाब से बाहर निकलती है वह गहरी नींद में सोती है क्योकि वो बहुत थक चुकी होती है।
फिर एक दिन की बात है जंगल में एक बहेलिया आया यह तो सबको पता है कि बहेलिया का काम ही पक्षियों को पकड़ने का होता है, उसने एक पेड़ के नीचे कुछ दाने डाले और उस पर अपना जाल बिछा दिया और वह पेड़ के पीछे छुप कर देखने लगा कि उसने कोई पक्षी उसमे फस जाए। वही दूसरी तरफ उसी जगह से चींटी गुजर रही थी जैसे ही उसने उस बहेलिया को देखा और उसका जाल देखा तो वह सारी चाल समझ गई फिर चींटी ने देखा वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी वह धीरे धीरे उड़ कर नीचे की तरफ दाना खाने जा रहा है।
चींटी ने बहेलिया के पैर में इतनी जोर से काटा कि वह चिल्ला पड़ा हाय किसने काटा किसने काटा जैसे ही कबूतर ने आवाज सुनी तो उसने देखा आवाज कहा से आ रही है और उसने जाल भी देख लिया। वह सारी चाल समझ गया और कबूतर तुरंत दूसरी दिशा की तरफ उड़ गया और उसकी जान बच गई तभी तो कहते है की कर भला तो हो भला।
कहानी से सीख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की अगर आप किसी की मदद करते है तो कभी आपको मदद की जरुरत पड़ेगी तो दूसरा भी आपकी मदद जरूर करेगा।
आगे पढ़े- 10 उपयोगी पेरेंटिंग टिप्स