Double Marker Test एक ब्लड टेस्ट होता है, जिसकी मदद से गर्भवती महिला के पेट में पल रहे बच्चे की abnormality का पता चलता है।अगर बच्चे में कोई भी abnormality होती है, जैसे की मंदबुद्धि बच्चा, अपंगता इत्यादि तो इस टेस्ट की सहयता से आपको पता चल जाता है। गर्भवती महिला को डॉक्टर ये टेस्ट शुरूआती कुछ हफ्तों में जैसे ९ से १३ हफ्तों के बीच में ये टेस्ट करने की सलाह देते है। पहले तो सिर्फ ३० वर्ष के ऊपर की महिला को ये टेस्ट लिखा जाता था पर अब तो हर उम्र की महिला को ये टेस्ट काराना अनिवार्य है। अगर देखा जाए तो १०० में से १ बच्चा डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होता है पर अब ये संख्या धीरे धीरे बढ़ने लगी है इसलिए ये टेस्ट करवाना अनिवार्य है। ये भी पढ़े प्रेगनेंसी कैसे होती है -पूरी जानकारी
Down Syndrome क्या होता है?
प्रजनन के समय माता – पिता के गुणसूत्र (क्रोमोसोम) बच्चे में आते हैं। टोटल 46 गुणसूत्र में से 23 माता के और 23 पिता के होते है। ये दोनों गुणसूत्र जब मिलते हैं, तो इनमें से 21वां गुणसूत्र अपनी एक अलग प्रतिलिपि बना लेता है। यही अतिरिक्त गुणसूत्र बच्चे में शारीरिक और मानसिक विकार पैदा करता है। अगर कोई बच्चा डाउन सिन्डोमे से पीड़ित है तो इसका मतलब है ऐसे बच्चो का मानसिक और शारीरिक विकास कम होता है। इसमें अपंगता, मंदबुद्धि कुछ अलग तरह का चेहरा, विकलांगता ये सब विकार हो सकते है।
Double Marker Test के क्या फायदे है ?
जब महिला गर्भधारण कर लेती है तो शुरूआती ९ से १३ हफ्तों के बीच में ये टेस्ट किया जाता है। Double Marker Test की सहायता से महिला के पेट में पल है बच्चे में कोई क्रोमोसोमल असामान्यता ना हो इसलिए ये टेस्ट किया जाता है। अगर Double Marker Test में बच्चे में कोई भी क्रोमोसोमल असामान्यता दिखती है तो आपको डॉक्टर कोई और बड़े टेस्ट और NT scan भी बोल सकते है। जिससे बच्चे में किसी तरह की कोई भी abnormality ना हो इसकी पुष्टि की जाती है। ज्यादातर इस टेस्ट का रिजल्ट ठीक आता है। अगर आपके साथ किसी तरह की कम्प्लीकेशन होगी तो इस टेस्ट के जरिये आपको पता चल जायेगा।
Double Marker Test क्यों जरुरी होता है?
Double Marker Test की सहायता सेगर्भवती महिला के ब्लड में प्रेगनेंसी हार्मोन और प्रोटीन का टेस्ट किया जाता है जो इस प्रकार से है-
Beta HCG
ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिन (Human Chorionic Gonadotropin) एक प्रेगनेंसी हार्मोन्स होता है। ये गर्भवती महिला के placenta के द्वारा निकलता है इस हार्मोन्स का काम पेट में पल रहे भ्रूण के विकास के लिए होता है। डबल मार्कर टेस्ट गर्भावस्था के शुरूआती कुछ हफ्तों में किया जाता है क्योकि शुरूआती कुछ हफ्तों में इस हार्मोन की मात्रा तेजी से बढ़ती है। फिर १०वे हफ्ते के बाद डिलीवरी तक इसकी मात्रा कम होने लगती है इसलिए इस टेस्ट को शुरूआती १३ हफ्तों में किया जाता है।
PAPP-A
प्रेगनेंसी एसोसिएटेड प्लाज्मा प्रोटीन (Pregnancy Associated plasma protein- A) यह एक तरह का प्रोटीन होता है इसका लेवल प्रेगनेंसी के साथ साथ बढ़ता है। इस प्रोटीन का काम पेट में पल रहे बच्चे के विकास के लिया होता है, इस प्रोटीन के कम या ज्यादा होने से बच्चे के विकास में असर पढता है। इसकी कमी से बच्चा अपंगता या किसी भी तरह की abnormality का शिकार हो सकता है इसलिए ये टेस्ट प्रेगनेंसी के समय बहुत जरुरी माना जाता है।
Double Marker Test का रिजल्ट कैसे देखते है?
Double Marker Testमें Risk का लेवल बताते है, प्रेगनेंसी high risk है या low risk है। low risk में पूरी प्रेगनेंसी में PAPP-A प्रोटीन में नज़र रखते है, लौ रिस्क से पता चलता है की प्रेगनेंसी में समस्या कम आने की संभावना है। अगर प्रेगनेंसी high risk होती है तो डॉक्टर आपको कुछ और टेस्ट की सलाह दे सकते है। क्योकि हाई रिस्क प्रेगनेंसी से पता चलता है की प्रेगनेंसी में समस्या आने की संभावना है।
इस रिजल्ट को रेश्यो फॉर्म में देखते है। अगर १:१० से १:२५० तक का रेश्यो होता है तो इसका मतलब स्क्रीन पॉजिटिव से है।अगर रेश्यो १:१००० है तो इसका मतलब स्क्रीन नेगेटिव से है। स्क्रीन नेगेटिव का मतलब लौ रिस्क प्रेगनेंसी से है साधारण भाषा में प्रेगनेंसी में ज्यादा खतरा नहीं होता है। आसान भाषा में कहे तो १:१००० रेश्यो का मतलब है की १००० गर्भावस्था में से किसी १ बच्चे में डिसऑर्डर पाया जा सकता है इसका मतलब प्रेगनेंसी में समस्या कम है। इसी तरह १:१० रेश्यो का मतलब है १० गर्भावस्था में से किसी १ बच्चे में डिसऑर्डर पाया जा सकता है।इसलिए इसमें खतरा भी होता है।
आवश्यक बाते
यह एक blood test है जो आपके ultrasound के साथ होता है, इसलिए जब ये टेस्ट कराये तो डॉक्टर को अपनी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जरूर बता दे डॉक्टर से कोई बात ना छुपाये।
अगर आप किसी भी तरह की दवा ले रहे है तो इस टेस्ट के पहले आपको डॉक्टर को बताना है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Double Marker Test में नॉमल वैल्यूज क्या होती है?
प्रेगनेंसी में Double Marker Testकी नार्मल वैल्यूज –
Beta HCG २५७००-२८००० mIU/ml और
PAPP – A is १ MoM (multiple of median)
Double Marker Test की क्या कीमत होती है?
Double Marker Test की कीमत २५०० से लेकर ३५०० के बीच में होती है