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आपके सबके मन में प्रेगनेंसी को लेकर कई बाते उठती होगी। MomBaby Corner में हम आपको Pregnancy kaise hoti और प्रेगनेंसी का सही समय क्या है? गर्भ क्यों नहीं ठहरता , प्रेगंसी में क्या क्या सावधानियां आपको लेनी चाहिए और पीरियड्स के कितने दिन बाद महिला प्रेगनेंट होती है? इस तरह की कई बातो की पूरी जानकारी हम आर्टिकल में देंगे।
शादी के बाद हर एक महिला एक मां बनने का सपना रखती है। मां बनना एक महिला के लिए सबसे सुखद एहसास होता है। जब एक महिला पहली बार मां बनती है तो उसकी खुशी दोगुनी हो जाती है। हर एक जोड़ा (couple) आजकल मां बाप बनना चाहते हैं। पर कई महिला और पुरुष ये नहीं जानते कि प्रेगनेंसी के लिए कौन सा समय सही है। वो रोज रिलेशन (sex) करते हैं पर सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं।
प्रेगनेंसी के लिए महिला का ओवुलेशन (ovulation) टाइम में होना अनिवार्य होता है। जब महिला और पुरुष रिलेशनशिप (sex) करते हैं तब महिला प्रेगनेंट होती है। यह बात तो हम सब जानते हैं पर रिलेशनशिप (sex) के कितने समय और कैसे यह प्रेगनेंसी होती है इसके बारे में पूरा जानेंगे।
पहले हमें एक बात जान लेनी चाहिए की एक नई जिंदगी सिर्फ एक माँ ही दे सकती है। क्योकि एक माँ ही बच्चे को को जन्म देती है। प्रेगंसी की सारी प्रक्रिया एक महिला के शरीर में ही होती है। इसलिए महिला का प्रजनन अंगो का सेहतमंद (healthy) होना अति आवश्यक है। तो पहले हम आपको कुछ प्रजननं अंगो के बारे में बतायेगे।
प्रजनन अंग :
ओवरी क्या है | Ovary kya hai
महिला के शरीर में हर महीने अंडाशय यानी ओवरी से एक अंडा रिलीज होता है जो लगभग 24 घंटे तक महिला के शरीर में जीवित रहता है, अगर पुरुष के शुक्राणु अंडे के संयोग में आ जाता है तो अंडा शुक्राणु के साथ निषेचित होता है और महिला प्रेगनेंट हो जाती है। फिर प्रेगनेंसी की प्रक्रिया आगे बढ़ती है एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन नमक हार्मोन्स का निर्माण भी ओवरी में ही होता है।
फैलोपियन ट्यूब (fallopian tube)
जब एक महिला प्रेगनेंट होती है तो प्रेग्नेंसी के लिए महिला का अंडाणु और पुरुष का शुक्राणु का मिलना आवश्यक है। अंडाणु और शुक्राणु का संयोजन फैलोपियन ट्यूब में होता है।
महिला के शरीर में हर महीने एक अंडाणु अण्डाशय से निकलता है फिर वह फेलोपियन ट्यूब के माध्यम से पूरे गर्भाशय में घुमता है। फेलोपियन ट्यूब में यह १२ – २४ घंटे तक रहता है। अगर १२ से २४ घंटे में पुरुष के शुक्राणु का संयोग नहीं होता है तो यह मासिक धर्म के रक्तश्राव के साथ निकल जाता है।
अगर पुरुष के शुक्राणु के संयोग में आ जाता है तो महिला प्रेगनेंट हो जाती है। यदि शुक्राणु अंडे से संयोग कर लेता है तो फिर निषेचित अंडा फेलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय में आ जाता है।
अब हम जानेगे की प्रेगंसी क्या क्या में स्टेज आती है।
प्रेगनेंसी की स्टेज को भी समझना जरुरी है।आइये हम इस प्रेगनेंसी की स्टेज की जानकारी पूरी डिटेल में देते है।
- ओवुलेशन (ovulation)
- फर्टिलाइजेशन (Fertilization)
- प्रत्यारोपण (Implantation)
ओवुलेशन समय क्या है कैसे जाने?
महिला के शरीर में हर महीने एक अंडाणु अण्डाशय से निकलता है इस स्तिथि को ओवुलेशन कहते है। यह हर महीने बार बार में होता है। हर एक महिला का ओवुलेशन समय अलग अलग होता है। महिला का मासिक चक्र २८ या ३० दिनों का हो सकता है।
अगर किसी महिला को १ तारीख को पीरियड्स यानी माहवारी होती है तो उसका ओवुलेशन समय १४ तारीख को होगा यानी हम कह सकते है की १४ दिन के बाद ओवुलेशन का समय शुरू हो जाता है और अगर आपका माहवारी ३० दिनों की है तो आपका ओवुलेशन समय १६ को होगा। यानी हम साधारण भाषा में कह सकते है की पीरियड्स के १४ दिन बाद प्रेगनेंसी के चान्सेस सबसे ज्यादा होते है।
ओवुलेशन कैलकुलेटर
आपका जिस दिन माहवारी आती है जैसे १ जनवरी को होती है। तो आपको इस डेट तारीख को कैलेंडर में मार्क कर ले। अगर अगला माहवारी २६ को आती है तो आपकी २६ दिन की length of cycle है।
अगर आपका लेंथ ऑफ़ साइकिल २६ दिन का है तो रूल के मुताबिक १४ घटा देंगे
२६-१४=१२
अगर आपका लेंथ ऑफ़ साइकिल ३० दिन का है तो
३०-१४=१६
अगर आपका लेंथ ऑफ़ साइकिल २६ दिन का है तो रूल के मुताबिक १४ घटा देंगे तो आपका ओवुलेशन टाइम १२वे दिन होगा। आपका १२ जनवरी को ओवुलेशन टाइम होगा। १२ तारीख से २ या ३ दिन पहले और २ या ३ दिन बाद रिलेशन बनाये तो प्रेगंसी के चान्सेस सबसे ज्यादा होंगे। यानी आप १०, ११ , १२ १३ १४ में अगर रिलेशन बनाते है तो प्रेगंसी होना ९० % संभव है। क्योंकि जब एक अंडाणु अण्डाशय से से बाहर निकलता है तो उसकी लाइफ 24 घंटे तक होती है। अगर उस टाइम पुरुष का शुक्राणु मिल जाए तो तो महिला प्रेगनेंट हो जाती है। पुरुष का शुक्राणु महिला के शरीर में 5 से 7 दिन तक जीवित रहता है। हम कहते हैं कि ओवुलेशन के दो-तीन दिन पहले या दो-तीन दिन बाद रिलेशन बनाना जरुरी होता है। जिससे महिला प्रेगनंट होती है।
फर्टिलाइजेशन (Fertilization)
फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया एक महिला में ओवुलेशन के समय में होती है। अगर महिला ओवुलेशन के समय में होती है। और इस दौरान अगर पुरुष के शुक्राणु फेलोपियन ट्यूब में होता है तो महिला का अंडा पुरुष के शुक्राणु के साथ निषेचित हो जाता है।
इसी को फर्टिलाइजेशन कहते है।
यह बात ध्यान रखिए कि महिला का अंडा लगभग 24 घंटे तक और पुरुष का शुक्राणु फैलोपियन ट्यूब में 5 से 7 दिन तक जीवित रहता है। फर्टिलाइजेशन के बाद ही महिला प्रेगनेंट होती है। फर्टिलाइजेशन के तुरंत बाद शिशु के जीन और लिंग सेट हो जाते हैं।
प्रत्यारोपण (Implantation)
रिलेशन (sex) के ३ मिनट बाद गर्भ धारण हो सकता है या इसमें 5 दिन का समय भी लग सकता है। जब महिला का अंडाणु पुरुष के शुक्राणु से फैलोपियन ट्यूब में मिलता है तो इसे फर्टिलाइजेशन कहते है। फर्टिलाइजेशन के 5 से 10 दिनों बाद इंप्लांटेशन (implantation) होता है। जब अंडा गर्भाशय की लाइनिंग तक पहुंच जाता है तब वह भ्रूण बनने लगता है। रिलेशन बनाने के के कुछ मिनट के अंदर ही फर्टिलाइजेशन हो सकता है। लेकिन हो सकता है कि 2 से 3 दिन का टाइम भी लग जाये।
फर्टिलाइजेशन यानी निषेचन के बाद अंडा लगभग फैलोपियन ट्यूब 3 से 4 दिन तक में रहता है ।फर्टिलाइजेशन के 24 घंटे के बाद इसकी कोशिकाएं तेजी से विभाजित होने लगती हैं। विभाजित अंडा धीरे-धीरे फैलोपियन ट्यूब के जरिए गर्भाशय यानी यूट्रेस (uterus) में जाने लगता है। और फिर ये अन्य कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है। यह कोशिकाएं गेंद का आकार ले लेती है जिसे ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) कहते है। ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) सिर्फ 2 से 3 दिन तक गर्भाशय में रहती है अगर यह गर्भाशय की दीवार में चिपक जाए तो या तो इंप्लांटेशन कहते हैं फिर इस टाइम से गर्भावस्था की शुरुआत होती है।
गर्भ कब नहीं ठहरता
- फैलोपियन ट्यूब की नलिका अवरुद्ध या सिकुड़ने से भी गर्भ नहीं ठहरता है।
- रिलेशनशिप बनाने के बाद लिंग और अंडकोष को गर्म पानी से न धोए उससे भी गर्भ नहीं ठहरता।
- महिला और पुरुष के अत्यधिक शराब पीने या धूम्रपान करने से भी सेक्स की छमता कम होती है।
- अगर महिला में अत्यधिक मोटापा है तो इससे गर्भ नहीं ठहरता।
- अनियमित खान पान से भी गर्भ नहीं ठहरता।
सबसे बड़ा कारण गर्भ न ठहरने का तनाव है। आजकल बच्चे समय से न होने पर लोग तनाव में आ जाते है। अत्यधिक तनाव अंडे और शुक्राणु की कार्य छमता को कम करते है।
प्रेगंसी में क्या क्या सावधानियां लेनी है
- ध्यान रहे तनाव में रहकर रिलेशनशिप (sex) ना करे। अगर आप प्रेगनेंट हो जाती हैं तो अत्यधिक खुश रहें और अपना ब्लड प्रेशर (B.P.) नॉर्मल रखें। ब्लड प्रेशर बढ़ने ना दे ब्लड प्रेशर बढ़ने से नार्मल डिलीवरी के होने की संभावना कम हो जाती है।
- पपीता, अनानास (pineapple) पहले ६ महीने में बिल्कुल भी ना लें। यह गर्भपात (Miscarriage)का कारण हो सकते हैं।
- पहले 3 महीने कोई भी भारी समान ना उठाएं।
- जब महिला प्रेगनेंट हो तो उसको चाय की मात्रा को थोड़ी कम कर देनी चाहिए। चाय में निकोटिन होता है तो जितना हो सके ना लें अगर बहुत जरूरी है तो दिन में सिर्फ एक कप चाय ले ।
- प्रेगनेंसी के समय हेल्थी फ़ूड ही खाएं इससे आप और आप का बच्चा स्वस्थ्य रहेगा ।
- प्रेगनेंसी के समय में हर 2-2 घंटे में कुछ ना कुछ खाते हैं रहे। सुबह के समय में नारियल पानी जरूर पिए इससे बच्चे का की त्वचा मुलायम रहती है। नाश्ते के समय में एक सेब जरूर खाये। समय समय पर डॉक्टर की सलाह भी लेते रहे।
कुछ व्यायाम है जिससे नार्मल डिलीवरी के लिए आपका शरीर तैयार हो जाता है। और शिशु के जन्म में होने वाली पीड़ा भी कम होती है। प्रेगनेंसी के व्यायाम हमने अपने एक आर्टिकल में पहले बताया है। अत्यधिक जानकारी के लिए हमारे इस आर्टिकल को देखिये गर्भावस्था के व्यायाम | Pregnancy ke vyaayaam